Decoding Astalakshmi Stotram

Outline and word boundaries..

Sujatha Ratnala
3 min readNov 1, 2024

A friend had requested for the meaning on this beautiful song. A chain of attributes eulogising the divine mother.. A string of compound words with feminine endings.. Hope this format helps in understanding the simple structure of the song.

O foremost Goddess! O Mother Lakshmi! May you bless me with abundant nutrition and food.. May you bless me with courage, elegance and progeny.. May you bless me with victory, knowledge and wealth!

आदिलक्ष्मि

सुमनस-वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र-सहॊदरि हेममये
मुनिगण-वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल-भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देव-सुपूजित, सद्गुण-वर्षिणि शान्तियुते

सुमनस-वन्दित — सुन्दरि ~ the beautiful one eulogised by the good-hearts
माधवि ~wife of Madhava
चन्द्र-सहॊदरि ~ sister of the effulgent moon
हेममये ~ golden-like
मुनिगण-वन्दित —मोक्षप्रदायनि ~ The one worshipped by the group of sages ~ and the bestower of liberation
मञ्जुल-भाषिणि ~ sweet-spoken
वेदनुते ~ worshipped in vedas
पङ्कजवासिनि ~ residing in the Lotus
देव-सुपूजित — सद्गुण-वर्षिणि ~ worshipped by the Gods ~ and the one who showers good qualities
शान्तियुते ~ she who unites with of peace

[Repeating verse]

जय जयहे मधुसूदन-कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥

Victory to you O Mother! The consort of Madhusudhana!
O AdiLakshmi! May you protect me!

धान्यलक्ष्मि

अयि कलि-कल्मष-नाशिनि कामिनि वैदिक-रूपिणि वेदमये
क्षीर-समुद्भव-मङ्गल-रूपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।

मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते

अयि कलि-कल्मष-नाशिनि ~ O destroyer of the troubles of kali-yuga!
कामिनि ~ O desirable one!
वैदिक-रूपिणि वेदमये ~ O embodiment of Vedas!
क्षीर-समुद्भव — मङ्गल-रूपिणि ~ One born from the ocean of milk [of milk of contemplation too] ~ and auspicious
मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ~ Who resides in the Mantras!
मङ्गलदायिनि ~ Provider of auspiciousness
अम्बुजवासिनि ~ Who resides in the waters
देवगणाश्रित-पादयुते ~ The one whose pair of feet is the resort for the Devas!

जय जयहे मधुसूदन-कामिनि धान्यलक्ष्मि सदापालय माम् ॥ 2 ॥

Victory to you O Mother! The consort of Madhusudhana!
O DhanyaLakshmi! May you protect me!

धैर्यलक्ष्मि

जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र-स्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगण-पूजित-शीघ्र-फलप्रद — ज्ञान-विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु-जनाश्रित
पादयुते
जय जयहे मधुसूधन-कामिनि धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥

One who rains victory
O Vaishnavi Bhargavi
O embodiment of mantras
One who is worshipped by the suras..
One who gives the fruit quickly
One who blossoms knowledge
One celebrated in the shastras
One who removes fear and sins..
One whose pair of feet is refuge to the good hearted people
O mother Dhairya Lakshmi.. Protect me!

And so on.. Hope you are able to decode the remaining lines in similar fashion.. And the beautiful audio shared by my friend

If you would like to see my take on Shri Suktam.. Another favorite of mine. https://myriadpatterns.medium.com/shri-suktam-invoking-the-inner-wealth-836ccca76b5d

अष्ट लक्ष्मी स्तोत्रम्

आदिलक्ष्मि
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहॊदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥

धान्यलक्ष्मि
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदापालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 2 ॥

धैर्यलक्ष्मि
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्रमये [जयवरवर्णिनि]
सुरगण-पूजित शीघ्र-फलप्रद, ज्ञान-विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधु-जनाश्रित पादयुते
जय जयहे मधुसूधन-कामिनि, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥

गजलक्ष्मि
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते ।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणि पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥

सन्तानलक्ष्मि
अयिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते । [सप्तस्वर]
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 5 ॥

विजयलक्ष्मि
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर, भूषित वासित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी सदा पालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 6 ॥

विद्यालक्ष्मि
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥

धनलक्ष्मि
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमि, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पूराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥

--

--

Sujatha Ratnala
Sujatha Ratnala

Written by Sujatha Ratnala

I write.. I weave.. I walk.. कवयामि.. वयामि.. यामि.. Musings on Patterns, Science, Linguistics, Sanskrit and other things..

No responses yet